क्या जेनरेटिव एआई के बढ़ने से भारत के बड़े आईटी और बीपीओ क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी होगी? उद्योग जगत के नेताओं के विचार मिश्रित हैं, लेकिन एक स्पष्ट पैटर्न उभर रहा है: एआई वर्तमान में बड़े पैमाने पर छंटनी का कारण नहीं बन रहा है, बल्कि यह नौकरी के पुन: विनिर्देशन का कारण बन रहा है।
एंट्री लेवल कोडिंग, रेज़्युमे स्क्रीनिंग और बुनियादी डेटा विश्लेषण जैसे कार्य स्वचालन के प्रमुख लक्ष्य हैं। कुछ सीईओ का सुझाव है कि वैश्विक स्तर पर 10% तक नौकरियों में अगले कुछ वर्षों में विस्थापन देखा जा सकता है, जो विशिष्ट, दोहराव वाली भूमिकाओं पर केंद्रित होगा।
क्या यह घबराने का क्षण है, या अवसर? सर्वसम्मति यह है कि पेशेवरों को उत्पादकता को 25-50% तक बढ़ाने और उच्च-मूल्य वाले काम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उपकरणों का उपयोग करके "एआई वाले इंसान" के रूप में विकसित होना चाहिए।
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क्या एआई आईटी नौकरियाँ ले लेगा, या भारत के 10% कार्यबल के लिए नौकरी का विवरण बदल देगा? बहस
ModernSlave
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Comments 3
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If your work is automatable, you should already be shifting.
But AI is rising so fast that the ‘non-automatable’ list gets smaller every year.
If you believe AI won’t take over most jobs,
you probably haven’t seen what modern AI can do.
AI won't replace humans, but humans who use AI will replace those who don't.